शुभांशु शुक्ला और एक्सियम-4 मिशन: भारत का अंतरिक्ष में नया अध्याय
मिशन का संक्षिप्त विवरण
एक्सियम-4 (Ax-4) एक निजी-सरकारी साझेदारी वाला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभाएंगे। यह मिशन मई 2025 में स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और क्रू ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा। यह भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा (1984) के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे नागरिक बनेंगे ।
प्रमुख बिंदु
- मिशन का उद्देश्य:
- गगनयान मिशन के लिए तैयारी: ISS पर 14 दिनों के दौरान शुक्ला माइक्रोग्रैविटी अनुकूलन, लॉन्च प्रोटोकॉल, और आपातकालीन प्रबंधन जैसे अनुभव प्राप्त करेंगे, जो भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान के लिए महत्वपूर्ण हैं67।
- वैज्ञानिक प्रयोग: ISS पर “वॉयजर टार्डीग्रेड्स” नामक प्रयोग करेंगे, जिसमें अत्यंत सहनशील सूक्ष्म जीवों (वॉटर बियर्स) के जीवनचक्र और डीएनए मरम्मत तंत्र का अध्ययन किया जाएगा। इससे दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों में जैविक सुरक्षा के नए तरीके विकसित करने में मदद मिलेगी।
- चालक दल:
- कमांडर: पैगी व्हिटसन (पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री)।
- मिशन विशेषज्ञ: स्लावोस्ज़ उज़नान्स्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड/ESA) और टिबोर कापू (हंगरी)।
- बैकअप क्रू: प्रसांत नायर (गगनयान अंतरिक्ष यात्री)।
- शुभांशु शुक्ला का योगदान:
- उन्होंने कहा है कि यह मिशन “1.4 अरब भारतीयों की यात्रा” का प्रतीक है। वे ISS पर योगासन करने और भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली वस्तुएं ले जाएंगे।
- शुक्ला ने यूरी गगारिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (रूस) और बेंगलुरु स्थित ISRO के प्रशिक्षण केंद्र में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
- मिशन की विशेषताएं:
- लागत: लगभग $60 मिलियन (500 करोड़ रुपये)।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: NASA, स्पेसएक्स, ISRO, और एक्सियम स्पेस के बीच साझेदारी।
- भारत के लिए महत्व:
- यह मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
- गगनयान के साथ-साथ, यह ISRO की अन्य परियोजनाओं जैसे निसार उपग्रह और PSLV-C61 के लॉन्च को भी गति देगा।
शुभांशु शुक्ला का व्यक्तिगत परिचय39
- जन्म: 10 अक्टूबर 1985, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
- शिक्षा: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और भारतीय वायु सेना अकादमी से प्रशिक्षण।
- वायु सेना करियर: 2006 में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन, 2,000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव (Su-30 MKI, MiG-21 आदि)।
- परिवार: पत्नी डॉ. कमना (दंत चिकित्सक) और एक पुत्र।
यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि युवाओं को विज्ञान के प्रति प्रेरित करने का भी एक अवसर है। शुक्ला ने कहा है, “मेरा लक्ष्य अंतरिक्ष से प्राप्त अनुभव को हर भारतीय तक पहुँचाना है”।