ISRO के EOS उपग्रहों पर विस्तृत लेख
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दशकों से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। इसका Earth Observation Satellite (EOS) कार्यक्रम पृथ्वी की सतह, जैवमंडल, वायुमंडल, और समुद्रों की दीर्घकालिक वैश्विक निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है। EOS उपग्रह उन्नत सेंसर और पेलोड से लैस हैं, जो सभी मौसमों और दिन-रात की परिस्थितियों में उच्च-गुणवत्ता वाली छवियां और डेटा प्रदान करते हैं। यह कार्यक्रम भारत की विकासात्मक आवश्यकताओं, वैज्ञानिक अनुसंधान, और वैश्विक पर्यावरण निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
EOS उपग्रहों का अवलोकन
ISRO का EOS कार्यक्रम कई उपग्रहों को शामिल करता है, प्रत्येक की अपनी विशिष्ट क्षमताएं और उद्देश्य हैं। नीचे प्रमुख उपग्रहों का अवलोकन दिया गया है:
EOS-01 (पूर्व में RISAT-2BR2)
- प्रक्षेपण तिथि: 7 नवंबर, 2020, PSLV-C49 के माध्यम से।
- विशेषताएं: यह एक X-बैंड Synthetic Aperture Radar (SAR) आधारित पृथ्वी इमेजिंग उपग्रह है, जो सभी मौसमों में इमेजिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- उद्देश्य: वन, कृषि, और आपदा प्रबंधन।
- मिशन अवधि: 5 वर्ष।
- कक्षा: निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में लगभग 555 किमी की ऊंचाई पर।
- लागत: लगभग ₹125 करोड़ (EOS-01)।
EOS-04 (पूर्व में RISAT-1A)
- प्रक्षेपण तिथि: 14 फरवरी, 2022, PSLV-C52 के माध्यम से।
- विशेषताएं: C-बैंड SAR उपग्रह, जो सभी मौसमों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियां प्रदान करता है।
- उद्देश्य: कृषि, वन, मिट्टी की नमी, जल विज्ञान, और बाढ़ मैपिंग।
- मिशन अवधि: 10 वर्ष।
- कक्षा: 529 किमी की ऊंचाई पर सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (EOS-04)।
EOS-06 (Oceansat-3)
- प्रक्षेपण तिथि: 26 नवंबर, 2022, PSLV-C54 के माध्यम से।
- विशेषताएं: समुद्र अवलोकन उपग्रह, जो Ocean Color Monitor (OCM) जैसे पेलोड से लैस है, जो 13 विभिन्न तरंगदैर्ध्यों में पृथ्वी को स्कैन करता है।
- उद्देश्य: समुद्र विज्ञान, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, और जलवायु परिवर्तन प्रभावों का अध्ययन।
- मिशन अवधि: 10 वर्ष (EOS-06)।
EOS-08
- प्रक्षेपण तिथि: 16 अगस्त, 2024, SSLV-D3 के माध्यम से।
- विशेषताएं: माइक्रोसैटेलाइट, जिसमें तीन पेलोड हैं: Electro Optical Infrared Payload (EOIR), Global Navigation Satellite System-Reflectometry (GNSS-R), और SiC UV Dosimeter।
- उद्देश्य: निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण अध्ययन, और अग्नि का पता लगाना।
- कक्षा: 475 किमी की गोलाकार कक्षा (EOS-08)।
EOS-09 (RISAT-1B)
- प्रक्षेपण तिथि: 18 मई, 2025 (निर्धारित), PSLV-C61 के माध्यम से।
- विशेषताएं: C-बैंड SAR उपग्रह, जो सभी मौसमों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग प्रदान करेगा।
- उद्देश्य: निगरानी, आपदा प्रबंधन, और अन्य महत्वपूर्ण अनुप्रयोग।
- वजन: लगभग 1,710 किलोग्राम (EOS-09)।
उद्देश्य और अनुप्रयोग
EOS उपग्रह कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं:
- कृषि: फसल स्वास्थ्य की निगरानी, उपज अनुमान, और सिंचाई प्रबंधन।
- वन: वन कवर मैपिंग, परिवर्तन का पता लगाना, और वन प्रबंधन।
- आपदा प्रबंधन: बाढ़ मैपिंग, भूस्खलन का पता लगाना, और प्राकृतिक आपदाओं में त्वरित प्रतिक्रिया।
- समुद्र विज्ञान: समुद्र का रंग, सतह का तापमान, और क्लोरोफिल सांद्रता का अध्ययन।
- तटीय क्षेत्र प्रबंधन: तटीय कटाव, तलछट, और समुद्री प्रदूषण की निगरानी।
ये अनुप्रयोग सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, और उद्योगों के लिए योजना, निगरानी, और निर्णय लेने में महत्वपूर्ण हैं।
प्रमुख प्रौद्योगिकियां और पेलोड
EOS उपग्रह अपनी विशिष्ट मिशन आवश्यकताओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों और पेलोड से लैस हैं:
पेलोड | विवरण | उपग्रह |
---|---|---|
Synthetic Aperture Radar (SAR) | बादलों और रात में इमेजिंग की अनुमति देता है, आपदा प्रबंधन और कृषि निगरानी के लिए उपयोगी। | EOS-01, EOS-04, EOS-09 |
Ocean Color Monitor (OCM) | समुद्र के रंग को कई तरंगदैर्ध्यों में मापता है, फाइटोप्लांकटन और समुद्र उत्पादकता का अध्ययन करता है। | EOS-06 |
Electro Optical Infrared Payload (EOIR) | दिन और रात में इंफ्रारेड बैंड में छवियां कैप्चर करता है। | EOS-08 |
Global Navigation Satellite System-Reflectometry (GNSS-R) | मिट्टी की नमी और समुद्र की हवा की गति को मापता है। | EOS-08 |
प्रक्षेपण विवरण और मिशन स्थिति
उपग्रह | प्रक्षेपण तिथि | लॉन्च वाहन | मिशन अवधि | स्थिति |
---|---|---|---|---|
EOS-01 | 7 नवंबर, 2020 | PSLV-C49 | 5 वर्ष | सक्रिय |
EOS-04 | 14 फरवरी, 2022 | PSLV-C52 | 10 वर्ष | सक्रिय |
EOS-06 | 26 नवंबर, 2022 | PSLV-C54 | 10 वर्ष | सक्रिय |
EOS-08 | 16 अगस्त, 2024 | SSLV-D3 | चल रहा है | सक्रिय |
EOS-09 | 18 मई, 2025 | PSLV-C61 | – | निर्धारित |
डेटा और अनुप्रयोग
EOS उपग्रहों से प्राप्त डेटा का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है:
- EOS-06 का OCM: वैश्विक False Color Composite मोज़ेक उत्पन्न करता है, जो वैश्विक वनस्पति कवर और समुद्र बायोटा के बारे में जानकारी प्रदान करता है। ये मोज़ेक पर्यावरण निगरानी और जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए उपयोगी हैं (EOS-06 Mosaic)।
- EOS-01 और EOS-04: बाढ़ मैपिंग और प्राकृतिक आपदाओं के लिए त्वरित प्रतिक्रिया डेटा प्रदान करते हैं।
- EOS-08: निगरानी, आपदा निगरानी, और पर्यावरण अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करता है।
हाल के विकास और भविष्य की योजनाएं
ISRO अपने EOS कार्यक्रम को लगातार विस्तार और सुधार रहा है। हाल के विकास में शामिल हैं:
- EOS-08 का प्रक्षेपण: अगस्त 2024 में Small Satellite Launch Vehicle (SSLV-D3) की तीसरी और अंतिम विकास उड़ान के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया (EOS-08 Launch)।
- EOS-09 का आगामी प्रक्षेपण: मई 2025 में निर्धारित, यह उपग्रह उन्नत C-बैंड SAR तकनीक के साथ भारत की पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
भविष्य की योजनाओं में अधिक उन्नत उपग्रहों का विकास शामिल है, जो बेहतर पेलोड और क्षमताओं के साथ भारत के विकास लक्ष्यों का समर्थन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान देंगे।
निष्कर्ष
ISRO का EOS उपग्रह कार्यक्रम भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बढ़ती दक्षता का प्रमाण है। EOS-01, EOS-04, EOS-06, EOS-08, और आगामी EOS-09 जैसे उपग्रहों के साथ, ISRO न केवल राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर हमारे ग्रह को समझने और प्रबंधन करने के प्रयासों में भी योगदान दे रहा है। सभी मौसमों में इमेजिंग, समुद्र विज्ञान, और आपदा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने वाला यह कार्यक्रम सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना हुआ है।